Tuesday, August 21, 2012

श्री हनुमान चालीसा

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दोहा :
श्रीगुरुचरण सरोज रज निज मनु मुकुर सुधारी !!
बरनऊँ रघुबर  बिमल जसु  जो दायक फल चारि !!
बुद्धिहीन तनु जानिके सुम्रोऊ पवन कुमार !!
बल बुधि बिद्या देहु मोही हरहु कलेस बिकार !!

जय हनुमान ज्ञान गुण सागर ! जय कपीस तिहुँ लोक उजागर !!
राम दूत अतिलुत बल धामा  ! अंजनीपुत्र पवनसुत नामा  !!

महाबीर बिक्रम  बजरंगी !  कुमति  निवार सुमति के संगी !!
कंचन बरन बिराज सुबेसा ! कानन कुंडल कुंचित केसा !!

हाथ वज्ज्र औ ध्वजा बिराजे ! कंधे मुंज जनेऊ साजे !!
संकरसुवन केसरी नंदन !  तेज प्रताप महाजगबंधन !!

विद्यावान गुनी अतिचतुर ! राम काज करिबे को आतुर !!
प्रभु चरित्र सुनबे को रसिया ! राम लखन सीता मन बसिया !!

सूक्ष्म रूप धरी सियहिं दिखावा ! बिकट रूप धरी लंक जरावा !!
 भीम रूप धरी असुर संहारे ! रामचंदर के काज संवारे !!

लाय सजीवन लखन जियाये ! श्री रघुबीर हर्ष उर्लाये !!
रघुपति कीन्ही बहुत बडाई ! तुम मम प्रिये भरतहि सम भाई !!

 सहस बदन तुमरो जस गावे ! अस कहीं श्रीपति कंठ लगावे !!
 सनकादिक ब्रह्मादी मुनीसा ! नारद सारद सहित अहिसा !!

जम कुबेर दिगपाल जहाँ ते ! कबि गोबिंद कहि सके कहाँ ते !!
तुम उपकार सुग्रीवहिं  कीन्हा ! राम मिलाये राजपद दीन्हा !!

तुमरो मंत्र विभीषन माना ! लंकेश वर भये सब जग जाना !!
जुग सहस्त्र जोजन पर भानु ! लील्यो ताहि मधुर फल जनु !!

प्रभु मुद्रिका मेली मुख माहीं !जलधि लांघी गये अचरज नहीं !!
दुर्गम काज जगत के जेते ! सुगम अनुग्रह तुमरे तेते !!

राम दुआरे तुम रखवारे ! होत ना आज्ञा बिनु पैसारे !!
सब सुख लहै तुम्हारी सरना ! तुम रक्षक काहू  को डरना !!

आपन तेज सम्हारो आपै ! तीनों लोक हांक तै कांपै !!
भूत पिसाच निकट नहीं आवै ! महाबीर जब नाम सुनावै !!

 नासै रोग हरे सब पीरा ! जपत निरंतर हनुमत बीरा !!
संकट ते हनुमान छुडावै ! मन क्रम बचन ध्यान जो लावै !!

सब पर राम तपस्वी रजा ! तिन के काज सकल तुम साजा !!
और मनोरथ जो कोई लावै ! सोई अमित जीवन फल पावै !!

चारों जुग पर ताप तुम्हारा ! है प्रसिद्ध जगत उजयारा !!
साधू संत के तुम रखवारे ! असुर निकंदन राम दुलारे !!

अष्ट सिद्ध  नौ निधि के दाता ! अस बर दीन जानकी माता !!
राम रसायन तुम्हरे पासा ! सदा रहो रघुपति के दासा !!

तुम्हारे भजन राम को पावै ! जनम जनम के दुःख बिसरावै !!
अन्तकाल रघुबर पुर जाई ! जहाँ जनम हरिभक्त कहाई !!

और देवता चित ना धरई ! हनुमत सेई सर्ब सुख करही !!
संकट कटै मिटै सब पीरा ! जो सुमरै हनुमत बलबीरा !!

जै जै जै हनुमान गोसाईं ! कृपा करहु गुरु देव की नाईं !!
तुलसीदास सदा हरी चेरा ! कीजै नाथ हृदय महँ डेरा !!

दोहा  
पवनतनय संकट हरन मंगल मूर्ति रूप !
राम लखन सीता सहित हृदय बसहु सुर भूप !!
!! सियावर राम चंद्र  की जय !!
!! पवनसुत हनुमान की जय !!






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