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सुग्रीव वाली के भय से मतंग ऋषि के आश्रम में
चले गये । वहां ऋषि के शाप के कारण वाली आ नहीं सकता था । सुग्रीव और श्री
हनुमानजी वानर सेना के साथ वहीं पर निवास करते थे । तभी सीताजी की शोध में
घुमते हुए श्री...राम एवं लक्ष्मण वहां आ पहुंचे । सीताजी जिनको रावण उठाकर अपनी लंका में ले गया था और उन्हें वहां कैद किया था । श्री राम-लक्ष्मण को ऋषिमूक पर्वत तरफ आते देखकर सुग्रीव को चिन्ता होने
लगी की वाली ने मारने के लिए दो तेजस्वी वीरों को भेजा हुआ है । सुग्रीव ने
व्याकुल होकर श्री हनुमानजी को जाँच हेतु भेजा । श्री हनुमानजी ब्राह्मण
का वेश धारण कर श्री राम-लक्ष्मण के समीप पहुँचे । श्री राम के
दर्शन मात्र से श्री हनुमानजी का मस्तक स्वयं श्री राम के चरण में झूक गया
और बाद में श्री हनुमानजी ने नम्रता से पृच्छा की, की आप कौन हो ? श्री
रामने अपना परिचय दिया । तब बाद श्री हनुमानजी ने ब्राह्णण का रुप त्याग कर
अपने मूल रुप में आकर अपना परिचय दिया और वाली-सुग्रीव की कथा सुनाई ।
श्री रामने भी अपनी कथा सुनाई और इस तरह भगवान श्री राम और श्री हनुमानजी
का मिलन हुआ ।
यह एक अनोखी घटना थी और इस लिए ही श्री हनुमानजी का सर्जन हुआ था ।
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॥♥♥॥- जय श्री राम -॥♥♥॥
॥♥♥॥- जय श्री हनुमान -॥♥♥॥
यह एक अनोखी घटना थी और इस लिए ही श्री हनुमानजी का सर्जन हुआ था ।
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॥♥♥॥- जय श्री हनुमान -॥♥♥॥
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